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Fun of sex with step mom in train (Hindi) ट्रेन में स्टेप मॅाम के साथ चुदाई का मजा

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मॅाम फक कहानी में मैंने ट्रेन में अपने पापा की दूसरी बीवी को चोदा, कई बार चोदा. फर्स्ट क्लास के केबिन में 4 लोग थे, दूसरा कपल भी चुदाई में लगा था.



 



दोस्तो,



मेरा नाम राहुल है. हम लोग पुराने पैसे वाले रईस हैं.



पापा स्कूल में प्रिंसिपल हैं.



 



मेरे पापा ने दो शादियाँ की थी. दोनों पत्नियों को एक साथ ही रखा हुआ था.



कुछ साल पहले मेरी जन्मदात्री इस दुनिया से चली गयी थी.



अब मेरी दूसरी माँ ही है.



 



मैं अपनी सौतेली मां के बारे में बता दूं.



मां का नाम निर्मला है. वह पेशे से हाउसवाइफ हैं और घर में ही रहती हैं.



 



यह मॅाम फक कहानी तब की है जब हम शहर से हमारे गांव भागलपुर के पास जा रहे थे.



 



हमारी फर्स्ट एसी की टिकटें थीं और एक ही कंपार्टमेंट में थीं जहां एक रूम होता है और 4 सीटें होती हैं.



 



मां की नीचे वाली सीट थी और मेरी उनके सामने वाली ऊपर की सीट थी.



 



करीब दो घंटा बाद हमारे कम्पार्टमेंट में एक कपल आया.



शायद उनकी नई नई शादी हुई थी.



 



पूछने पर पता चला वह बीवी को मायके से लेने आया था.



अब वे दोनों अपने घर जा रहे थे.



 



अब दोनों की सेक्सी हरकतें चालू हो चुकी थीं.



उनका एक दूसरे से सेक्सी बातें करना और बात बात में एक दूसरे को टच करना चल रहा था.



 



मां यह सब देखकर शर्मा रही थीं.



शायद उनको अपने दिनों की याद आ रही थी.



 



मैंने मां को होंठ चबाते हुए देखा और जब किसी की नजर नहीं थी, तो मां ने साड़ी सैट करने के बहाने अपनी चूत भी खुजाई थी.



 



उस वक्त मैं उन्हें देख रहा था.



जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ़ देखा, मैं यहां वहां देखने लगा.



 



अब मुझे उनकी हरकतें मां के ऊपर लगे हुए शीशे में साफ दिख रही थीं.



 



तभी मुझे उस सामने वाली औरत के पति ने देख लिया कि मैं उन दोनों को प्यार की हरकतें करता देख रहा हूँ.



 



उस आदमी ने मुझे इशारा कर बाहर आने को कहा.



मैं आ गया और वह भी पीछे आ गया.



 



उसने कहा- भाई, मेरी नई नई शादी हुई है. तुम लोग ऐसा करोगे तो कैसे चलेगा?



मैंने सॉरी कहा.



 



तो उसने कहा- कोई बात नहीं. अरे मुझसे कंट्रोल ही नहीं हो रहा है. तुम्हारा भी क्या दोष है … और सामने जो औरत बैठी है, मेरी पत्नी उसे समझा रही है. तू समझ गया तो मेरा एक काम करेगा. तू उनके साथ बैठ जा. उनको कंपनी दे दे. हम यहां लाइट बंद करके आते हैं. मेरा स्टेशन आने को अभी 5-6 घंटे हैं. उसके बाद मुझे घर पर ऐसा मौका 4-5 दिन नहीं मिलेगा. भाई मान जा. क्या पता अगर उस आंटी ने तुझे चांस दे दिया, तो कुछ भी हो सकता है. मजे ले ले!



 



मैंने उससे कहा- ठीक है.



 



कुछ देर बाद हम अन्दर आए तो मैं ऊपर न जाकर मां के बगल में ही बैठ गया.



मां ने कहा- उनको प्राईवेसी चाहिए, तू यहीं मेरे साथ बैठ जा.



 



फिर उन्होंने पूछा कि लाइट बंद कर दें?



मैंने कहा- हां कर दो.



 



उसके बाद अंधेरे में मैं और मां एक दूसरे से सट कर बैठे थे.



अब हमें कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था पर उनकी हरकतों की आवाजें आ रही थी.



 



उनकी चूमने की आवाज और उस लड़की का मादक भाव से सिसकना सुनकर मेरा लंड तन गया था.



 



मेरा हाथ मां की तरफ था.



मुझे लग रहा था कि मां अपने मम्मों से मेरी कोहनी पर दबाव डाल रही हैं.



 



इतने में मां का फोन आया तो लाइट जली.



 



हम दोनों ने देखा कि वह औरत ऊपर से नंगी हो चुकी थी और वह आदमी उसकी गोदी में बैठा, उसके मम्मे चूस रहा था.



मां ने हड़बड़ा कर फोन कट किया और फोन ब्लाउज में डाल लिया.



 



जैसे ही हाथ नीचे किया, तो मेरी जांघों पर लंड के करीब हाथ रख दिया.



मैं कुछ नहीं बोला.



 



फिर ना जाने क्यों … मां ने हाथ सरका कर लंड पर रखा और मेरे खड़े हुए लंड को महसूस करने लगीं.



मां मेरे लंड को भांप रही थीं.



 



उन्होंने लंड को पकड़ने की कोशिश की.



शायद उन्हें पता चला होगा कि यह मेरा लंड है, तो उन्होंने झट से हाथ हटा लिया.



 



अब मेरा पारा चढ़ गया था, मैंने हाथ पीछे लेकर मां की कमर पर रखा और वहां से हाथ निकाल कर मां के पेट को मसलने लगा.



 



मां फुसफुसा कर बोलीं- बेटा यह क्या कर रहा है!



मैंने पूछा- क्या?



मां कुछ नहीं बोलीं.



 



अंधेरे में मां ने वापस मेरे लौड़े पर हाथ रखा.



इस बार उन्होंने उठाया नहीं.



 



मुझे ऐसा लगा जैसे वे इशारा दे रही थीं कि चलो हम भी कुछ करते हैं.



मैंने अपना एक हाथ मां के मम्मों पर रखा और मसलने लगा.



 



मां मेरे कान में धीरे से बोलीं- बेटा, यह गलत है.



मैंने मां के कान में कहा- छोड़ो ना मां … किसे पता चलेगा. प्लीज मां करने दो ना! बस एक बार, मैं इसके बाद ना मांगूंगा और ना किसी से कुछ कहूंगा.



 



मैं ऐसे कहते कहते मां के कान और उनकी गर्दन को चूमने लगा.



उनकी सांसें धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थीं.



 



माहौल में गर्मी बढ़ रही थी.



मैं मां का ब्लाउज खोलने लगा.



 



मां ने मेरा हाथ पकड़ा मगर मैंने ब्लाउज के सारे हुक एक एक करके खोल दिए.



 



मां का ब्लाउज खुल चुका था और मां का हाथ अभी भी मेरे हाथ पर ही था.



 



मैं समझ गया था कि मां गर्म है और यही मौका है उनकी चूत पर लौड़ा मारने का.



 



अब मैं मां की साड़ी को ऊपर खींचने लगा.



मां ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन इस बार उन्होंने रोका नहीं.



 



मैंने साड़ी ऊपर की और मां की जांघों पर हाथ फेरने लगा.



 



मां की सांसें तेज़ चल रही थीं.



‘हम्मम हम्म सों सों …’ की आवाजें आ रही थीं.



 



मैं चूत पर गया और चड्डी के ऊपर हाथ फेरने लगा.



चड्डी गीली सी लगी इसलिए मैंने अन्दर हाथ डाला.



 



शायद मां ने 2-3 दिन पहले ही चूत साफ की थी. उनके छोटे छोटे बाल आए हुए थे.



उनकी चूत पर हाथ फेरने का क्या मीठा अहसास था.



 



मुझे उनकी चूत के होंठ समझ नहीं आ रहे थे.



यह मेरा पहली बार था, जब मैं किसी की चूत को टच कर रहा था.



 



उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर घुसाया और मेरी उंगली पकड़ कर चूत के छेद के अन्दर डाल दी.



फिर गांड उठा कर इशारा दिया कि अन्दर बाहर करो.



 



मैंने चूत से हाथ निकाला और खुद से दो उंगलियां डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.



तब तक सामने वाली सीट पर चुदाई चालू हो चुकी थी.



पच फच धक्कों की आवाजें आ रही थीं.



 



मैं उठा और अपनी पैंट निकाल कर नंगा हो गया.



फिर मां के पास बैठ कर उनकी चड्डी निकालने के लिए हाथ लगाने लगा.



 



पर मां पहले ही चड्डी निकाल टांगें फैला लेटी हुई थीं.



मैं मां के ऊपर लेट गया.



 



मां ने मेरा लंड पकड़ चूत पर सैट किया और धक्का देने को बोलीं- पेल दे!



 



जैसे ही मेरा हैवी लंड चूत के अन्दर गया, मां की चीख निकल गई- उई मर गई आह आराम से कर ना!



 



मेरे कुछ ही धक्कों में मां सामान्य हो गईं.



मेरा लंड आसानी से अन्दर आ जा रहा था.



 



अब हम भी फच फच की आवाज़ें करने लगे.



मां गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं.



 



अब मैंने मां के मम्मे चूसने को हाथ ऊपर किए, तो वे नंगे थे.



मां ने ब्रा पहले से ही ऊपर कर ली थी.



 



मैं बुरी तरह से मम्मे चूसने लगा और काट भी रहा था.



 



मां कह रही थीं- आह काट मत बेटा … बस चूस कर मजा ले और ऐसे ही धक्के देता रह … बड़ा अच्छा लग रहा है.



 



मैं धक्के देते देते हुए ही मां की चूत के अन्दर झड़ गया.



मां भी झड़ गई थीं.



 



उन्होंने मुझे कसके पकड़ लिया और अपनी झड़ी हुई चूत को रगड़ने लगीं.



 



हम दोनों ने अपने आपको संभाला.



मैंने मां की चड्डी अपनी जेब में छुपा ली.



 



थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के साथ लेटे रहे.



 



फिर एक स्टेशन आया तो खिड़कियां खटखटाई जाने लगीं- चाय चाय.



 



सामने की सीट वाले उस आदमी ने बाहर जाकर चाय ली.



मेरी मम्मी ने भी मुझसे चाय मँगवा ली.



 



वह आदमी मुझे देख कर हंस रहा था. उसने मुझे इशारा किया.



 



हम दोनों पानी लेने के बहाने बाहर गए.



बाहर आकर वह मुझसे बोला- भाई सही खेल गया तू तो … क्या गजब माल बजाया है. वैसे एक बात बोलूं यह मेरी बीवी नहीं है, मेरी बहन है.



 



मैं शॉक्ड हो गया.



 



मैंने कहा- चल झूठे … ऐसा भी कहीं होता है?



“क्यों नहीं होता. आज तूने क्या किया. तुझे क्या लगा कि मुझे पता नहीं चलेगा कि जिसको तूने चोदा है, वह तेरी कौन है? मैंने बाहर लगे चार्ट पर तुम्हारे नाम पढ़े थे! तू मॅाम फक कर रहा था.”



 



अब मेरी बोलती बंद हो गई.



मैं उदास हो गया और सोचने लगा कि यह मुझसे क्या हो गया!



वह बोला- भाई टैंशन क्यों लेता है, साले मजे ले इतना बड़ा कांड किया है तूने! हर फैमिली में ऐसे ही होता है, बस कोई बताता नहीं है. अब मुझे ही देख ले अपनी बहन को बीवी की तरह चोदता हूँ.



 



कुछ रुक कर वह फिर से बोला- हमारे पास तो अभी मौका है. हम लोग तो यहां से जाने से पहले एक और शॉट मारने वाले हैं. अब तक मेरी बहन ने तेरी मां का दिमाग सैट कर दिया होगा. अब तुझे जब चाहे चूत मिलेगी, नहीं भी मिली तो अब भी मौका है. जो चाहे वह कर ले.



 



अब हम दोनों ट्रेन में चढ़ गए.



 



मेरी मां और उस लड़की की बातों से लग नहीं रहा था कि उनका कोई डिस्कशन हुआ था.



उन दोनों में हंसी मजाक चल रहा था.



 



फिर टीसी टिकट चैक करने आया.



अब उस आदमी ने बोला- लाइट बंद कर दूँ … कोई दिक्कत तो नहीं है आपको!



मैं हंस कर बोला- हां जी जरूर जरूर.



 



मैं ऊपर वाली बर्थ पर जाने लगा तो मां बोलीं- बेटा कहां जा रहा है, यहीं मेरी बगल में सो जा!



अब मैं बाहर की तरफ सो रहा था और मां अन्दर की तरफ सीट पर.



जगह कम पड़ रही थी, इसलिए हम दोनों चिपक कर सो रहे थे.



 



वे दोनों पुनः शुरू हो चुके थे.



उसकी बहन की चूड़ियों की आवाज गूंज रही थी व उसकी खिलखिलाने की आवाज आ रही थी.



 



मैं सोच रहा था कि अब क्या होगा.



क्या मैं आगे फिर से कुछ करूँ.



 



तभी मां की हरकतें शुरू हो गईं.



मां अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगीं.



 



मैं फिर से सेक्स नहीं करना चाहता था लेकिन इस बार मां सामने से मौका दे रही थीं.



 



मेरा हाथ पकड़ मां ने अपने पेट पर घुमाते हुए नीचे को किया और अपनी चूत पर रख लिया.



मां ने अपनी साड़ी ऊपर कर ली थी और एक हाथ से मेरी पैंट नीचे करने की कोशिश कर रही थीं.



 



मैंने उठकर अपनी पैंट उतारी और मां ने मेरा लंड पकड़ लिया.



वे लंड हिला हिला कर उसे टाइट कर रही थीं.



 



मां मूड में आ गई थीं.



अब मां मेरी तरफ मुँह कर मेरे ऊपर आना चाह रही थीं.



 



मैंने मां को अपने ऊपर खींच लिया.



मां ने अपना ब्लाउज के बटन खोल दिए; ब्रा तो पहले ही ढीली थी.



 



ऊपर से मां नंगी हो गई थीं और अपने दूध मेरे मुँह में दे रही थीं.



 



कुछ देर बाद मां ने मेरी भी शर्ट के बटन खोल दिए.



मैंने भी जोश मैं मां की साड़ी उतार दी.



 



मैं मां के नीचे था और वे मेरे ऊपर थीं.



 



मां मुझे अपने दूध चुसवा रही थीं और मेरे लंड को मां अपनी चूत में लेकर खुद ऊपर नीचे करने लगी थीं.



मैं नीचे से धक्के दे रहा था.



 



ऐसे ही चुदाई होती रही.



 



काफी देर बाद हम दोनों झड़ गए.



मां मेरे ऊपर नंगी ही सोई रहीं.



 



हमें जो कंबल मिला था, उसमें ही हम दोनों सोए रहे.



 



सुबह अचानक उन दोनों ने हमें जगाया.



उनका स्टेशन आ गया था.



 



हमने उन्हें विदा करके कुंडी लगाई.



अब हम दोनों ऐसे ही नंगे बैठे थे.



 



मैंने पहली बार मां का नंगा गोरा बदन देखा था.



 



मां मुझसे चिपक कर सोई थीं.



हम एक दूसरे को देख रहे थे.



 



मां ने मुझसे कहा- विकी बेटा देख, जो ट्रेन में हुआ, वह किसी को पता नहीं चलना चाहिए … और यह सब यहीं पर खत्म हुआ मान लेना. ट्रेन से उतरने के बाद गलती से भी नहीं होगा. ना ही मेरी तरफ से, ना ही तेरी तरफ से … ओके!



 



मैंने मां से ओके कहा और उनके दूध चूसने लगा.



 



मां मेरे बालों में हाथ डाल सहलाने लगीं मेरी एक जांघ मां की जांघों के बीच गई तो मुझे चूत की गर्मी महसूस हुई.



मैं मां की चूत में लौड़ा घिसने लगा.



 



मां कुछ नहीं बोलीं.



 



मैंने मां से कहा- मां, अभी ट्रेन से उतरने में दो घंटा बाकी हैं. क्यों ना एक आखिरी बार और हो जाए.



मां हंस दीं और बोलीं- बदमाश मुझे पता था कि तू इतने में नहीं मानेगा.



 



अब हम दोनों ने किस करना चालू किया.



मैं मां को चूमे जा रहा था और चूसे जा रहा था.



 



यह मॅाम फक का आखिरी मौका था.



मां मेरा लंड हिला रही थीं.



 



मैंने मां से लंड चूसने को कहा.



मां खड़ी हुईं और मेरा लंड चूसने लगीं.



 



आह बड़ा मजा आ रहा था.



 



मैंने मां को सीट पर बिठाया और उनके पैर फैला कर चूत चाटने लगा.



 



अब मैं मां को अपनी गोद में बिठा कर चोद रहा था.



फिर मैं मां को खिड़की के पास डॉगी स्टाइल में चोदने लगा.



 



मां खिड़की की सलाखों को पकड़ कर गांड उछाल उछाल कर लंड अन्दर ले रही थीं.



मस्त माहौल था.



 



मां का ऐसा जंगली रूप रात को भी नहीं था.



मैं मां को खड़ा करके और झुका कर पीछे से चोद रहा था.



 



मैंने मां को नीचे बिठाया और उन पर अपने माल की बरसात कर दी और मां का सारा बदन अपने माल से भर दिया.



हम दोनों हांफते हांफते एक दूसरे के ऊपर सो गए.



 



अब मुझे मां को और चोदना था लेकिन मां जुबान की पक्की थी.



वे मुझे ट्रेन के बाहर कभी चोदने नहीं देतीं.

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